Rani Durgavati Tiger Reserve: विलुप्त हो रही गिद्धों की प्रजाति के लिए बनेगा वल्चर रेस्टोरेंट, लैब टेस्टिंग के बाद परोसा जाएगा मांस
विलुप्त हो रही गिद्धों की प्रजाति को बढ़ाने के लिए गिद्ध रेस्टोरेंट की तीन जगह चिन्हित की गई हैं। जिसमें नरसिंहपुर जिले के डोगरगांव में दो जगह जबकि तीसरा स्थान नौरादेही का मोहली में है
एमपी न्यूज हिन्दी,दमोह। नौरादेही अभयारण्य को मिलाकर बनाए गए रानी दुर्गावती टाईगर रिजर्व (Rani Durgavati Tiger Reserve) को देश के सबसे बड़े टाईगर रिजर्व के रूप में पहचान मिली है। क्योंकि इसकी कुल क्षेत्रफल 2300 वर्ग किमी है या बीते पांच साल में बाघों की संख्या 19 पहुंच गई है। अब यहां भारत से विलुप्त हो रही गिद्धों की प्रजाति को बढ़ाने के लिए नया प्रयास शुरू किया जा रह है । इसके लिये रानी दुर्गावती टाईगर रिजर्व में गिद्धों के लिए वल्चर रेस्टोरेंट (Vulture restaurant) बनेगा। इस प्रोजेक्ट का काम आने वाले कुछ महीनों में शुरू होगा।
वल्चर रेस्टोरेंट के लिये की गई तीन जगह चिन्हित
रानी दुर्गावती टाईगर रिजर्व (Rani Durgavati Tiger Reserve) तीन जिलों सागर, नरसिंहपुर और दमोह में फैला है जिसमें दमोह जिले के तेंदूखेड़ा और जबेरा जो कि सामान्य वन क्षेत्र में आता था उसी को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाया गया है जिसकी मंजूरी हो चुकी है, लेकिन अभी क्षेत्र हैंडओवर नहीं हुआ है। इसी रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में विलुप्त हो रही गिद्धों की प्रजाति को बढ़ाने के लिए गिद्ध रेस्टोरेंट (Vulture restaurant) की तीन जगह चिन्हित की गई हैं। जिसमें नरसिंहपुर जिले के डोगरगांव में दो जगह जबकि तीसरा स्थान नौरादेही का मोहली में है । यहां पर लगभग दो हेक्टेयर क्षेत्र को तार से घेरकर एक बाड़ा बनाया जायेगा। जिसमें मृत मवेशियों के मांस का परीक्षण करने के बाद गिद्धों को परोसा जायेगा। जिसके बाद इन स्थानों पर गिद्धों की संख्या बढ़ने लगेगी।
गिद्ध बचाने के अभियान को मिली मंजूरी
कहा जाता है कि मांस को देखकर ही गिद्ध एकत्रित होते हैं, यदि यह प्रयास सफल रहा तो टाइगर रिजर्व में गिद्धों की तादाद कुछ ही वर्षो में दोगनी या तीन गुनी हो सकती है। ऐसे में विलुप्त की कगार में पहुचे चुकी प्रगति के विकास के नये द्वारा खुल जाएंगे। बता दे कि, पूरे मध्यप्रदेश में गिद्ध की संख्या दस हजार के आसपास ही है जिसमें 2021 में हुई गिद्ध गणना में नोरादेही अभ्यारण में मात्र 300 गिद्ध थे। ऐसी स्थिति में गिद्धों को बचाने के लिए वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के उच्च अधिकारियों ने गिद्ध को बचाने के लिये अभियान को शुरू करने की मंजूरी दे दी।
गौशालाओं से किया जा रहा संपर्क
टाइगर रिजर्व में गिद्धों की प्रजाति बढ़ाने के लिए जो प्रयास शुरू हो रहे हैं उसके लिए बड़ी मात्रा में मवेशियों के मांस की जरूरत पड़ेगी। क्योंकि गिद्धों का मुख्य आहार मवेशियों का मांस है। इसलिए टाइगर रिजर्व के अधिकारी गौशालाओं से संपर्क करने का प्रयास कर रहे हैं। जहां प्रतिदिन मवेशियों की मौत होती है जिसको गौशाला संचालक जमीन के नीचे दफना देते हैं। टाइगर रिजर्व के अधिकारी अब उन मवेशियों को दफनाने की जगह लैब भेजेंगे। मृत मवेशियों के मांस के परीक्षण के बाद यदि मांस सही निकलता है तो उसको गिद्धों के लिये बनाए जा रहे गिद्ध रेस्टोरेंट में रखा जायेगा जो कि गिद्धों का आहार होगा।
वल्चर रेस्टोरेंट नेपाल और महाराष्ट्र में भी बन चुके
रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के डिप्टी डारेक्टर अब्दुल अंसारी ने बताया कि भारत में पहले गिद्धों की संख्या काफी अधिक थी, लेकिन कुछ वर्ष पूर्व डाइको फिनाक नामक दवा आई थी। जो कि मवेशियों को बुखार आने पर दी जाती थी, लेकिन जब मवेशियों की मौत होती थी और उनके मांस को गिद्धों खाते तो उनकी मौत हो जाती थी। इसी वजह आज ऐसी नौबत या गई कि गिद्ध की प्रजाति लुप्त होने की कगार में आ पहुंच गई है । जिनको बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा लुप्त होते गिद्धों को बचाने के लिये वल्चर रेस्टोरेंट बनाकर गिद्धों की प्रजाति बढ़ाने का प्रयास शुरू हो रहा हैं। इसके पहले इसी प्रकार का प्रयास नेपाल और महाराष्ट्र में किया गया था जो कि सफल रहा था, इसलिए अब यही प्रयास वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में अप्रैल माह से शुरू किया जा रहा है।
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