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मिर्जा गालिब की मौत पर एक कविता है कोई
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उम्मीद भर नहीं आती कोई सूरत नजर नहीं आती
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मौत का एक दिन मुयन है नींद क्यों रात भर
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नहीं आती पहले आती थी हाल दिल पे हंसी अब
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किसी बात पर नहीं आती है कुछ ऐसी बात जो
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चुप हूं वरना क्या बात करनी नहीं आती
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दोस्तों मिर्जा गालिब की यह कविता मौत के
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उस सत्य को रेखांकित करती है जिसे एक ना
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एक दिन सभी को अनुभव करना है और इस अनुभव
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के बाद उसे पंच तत्वों में विलीन हो जाना
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है लेकिन कहा जाता है कि मृत्यु से पहले
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मौत के सत्य को गहराई से अनुभव करना हो तो
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मणिक कणिका घाट आ जाइए यहां समय रुक जाता
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है जीवन और मृत्यु एक दूसरे में समा जाती
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है यह वह जगह है जहां जीवन का अंतिम सत्य
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हजारों सालों से मणिक का घाट पर जिंदगी की
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अंतिम यात्रा रुकती नहीं है यहां हर दिन
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सैकड़ों शव जलते हैं लेकिन कहा जाता है कि
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इन चिताओं में केवल शरीर जलता है आत्मा
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नहीं यहां मौत का वह सत्य का उजागर होता
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है जहां से हर किसी का रास्ता जुड़ा है इस
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घाट पर रात बिताना अपने आप में डर शांति
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और आत्मचिंतन की एक यात्रा है यहां बैठकर
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जीवन की हलचल से परे एक सवाल बार-बार उठता
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है मैं कौन हूं क्या सिर्फ शरीर या कोई
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मणिक का घाट पर एक रात बिताना सिर्फ
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मृत्यु को देखना नहीं है बल्कि जीवन के
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असली अर्थ को समझना है विज्ञान प्रश्न
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पूछता है अध्यात्म उत्तर देता है और आत्मा
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आत्मा बस अनुभव करती है
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मणिक का घाट केवल श्मशान घाट नहीं है यह
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एक ऐसा स्थल है जहां अनगिनत आत्माएं अपनी
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अंतिम यात्रा पर निकलती हैं यहां चिताएं
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लगातार जलती रहती हैं जो जीवन की नाश्वरता
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और शाश्वत चक्र की याद दिलाती हैं
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कहा जाता है कि भगवान शिव शिव यहां पर
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तारक मंत्र का उच्चारण करते हैं जिससे
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मरने वाली आत्मा को मुक्ति मिलती है मणिक
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का घाट सिर्फ अंतिम संस्कार का स्थान नहीं
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है यह आध्यात्मिक चिंतन गहन विश्वास का
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केंद्र है यहां लोग गंगा में स्नान करते
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हैं अपने पापों को धोते हैं और मोक्ष की
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यहां जीवन की क्षणभंगुरता और मृत्यु की
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अनिवार्यता का अनुभव होता है जो हमें जीवन
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को पूरी तरह से जीने और आध्यात्मिक मार्ग
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पर चलने के लिए प्रेरित करता है यह घाट
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हमें सिखाता है मृत्यु अंत नहीं है बल्कि
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एक नया अध्याय है यह हमें यह भी याद
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दिलाता है कि भले ही शरीर नश्वर हो आत्मा
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अमर है यह एक ऐसा स्थल है जहां शोक और
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शांति अंत और आरंभ दोनों एक साथ मौजूद है