7 Wonders of the world names in Hindi | दुनिया के सात अजूबों के नाम, इतिहास एवं उनकी खासियत | Duniya ke 7 ajoobe ke naam
7 Wonders of the world names in Hindi : आइए इस पोस्ट में जानते है दुनिया के सात अजूबों के नाम (Duniya ke 7 ajoobe ke naam) दुनिया के 7 अजूबों का इतिहास एवं उनकी खासियत
7 Wonders of the world names in Hindi: आप सभी लोगों ने दुनिया के सात अजूबे (duniya ke 7 ajoobe ke naam) के बारे में तो सुना ही होगा। लेकिन क्या आप जानते है दुनिया के सात अजूबे कौन- कौन से है ये सब कहा स्थित है नहीं जानते तो पोस्ट को आखिरी तक पढ़ें, क्योंकि इस पोस्ट में हम आपको दुनिया के साथ अजूबे (duniya ke 7 ajuba) के बारें में बताने जा रहे है इस पोस्ट में हम आपको दुनिया के सात अजूबे (duniya ke saat ajoobe) के साथ वह कहा स्थित है, सभी सात अजूबों का इतिहास एवं उनकी खासियत के बारें में बताएंगे...
दुनिया के सात अजूबे के नाम | 7 wonders of the world names in Hindi
दुनिया के सात अजूबे की लिस्ट (7 Wonders of the world names list in Hindi)-
- ग्रेट वॉल ऑफ चाइना, चीन [Great Wall of China, China]
- ताजमहल, भारत [Taj Mahal, India]
- कालीजीयम, इटली [Colosseum, Italy]
- क्राइस्ट द रिडीमर, ब्राजील [Christ the Redeemer, Brazil]
- चिचेन इट्जा, मैक्सिको [Chichen Itza, Mexico]
- माचू पिच्चू, पेरू [Machu Picchu, Peru]
- पेट्रा, जॉर्डन [Petra, Jordan]
ग्रेट वॉल ऑफ चाइना, चीन [Great Wall of China, China]
ग्रेट वॉल ऑफ चाइना को 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व चीन के प्रथम शासक किन शी हुआंग के द्वारा प्राचीन चीनी राज्यों के उत्तरी सीमाओं पर बनाई गई थी। जिसका विस्तार इसके बाद भी कई चीन शासकों के द्वारा कराया गया है कहा जाता है कि ग्रेट वॉल ऑफ चाइना को बनाने में करीब 20 सालों का व्यक्त लगा था।
यह दीवार करीब 21,196 किलोमीटर की लंबी है। दीवार निर्माण के पीछे चीनी शासक का उद्देश अपने साम्राज्य की रक्षा करना था। ग्रेट वॉल ऑफ चाइना को पृथ्वी का सबसे लंबा कब्रिस्तान भी कहा जाता है क्योंकि दीवार के निर्माण के समय करीब 10 लाख से ज्यादा मजदूरों ने अपनी जान गवाई थी। ग्रेट वॉल ऑफ चाइना को लेकर दावा किया जाता है कि चीन की दीवार इतनी विशाल है कि उसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। ग्रेट वॉल ऑफ चाइना को यूनेस्को ने 1987 से ही विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है। ग्रेट वॉल ऑफ चाइना (Great Wall of China, China) दुनिया के सात अजूबे में से एक है
ताजमहल, भारत [Taj Mahal, India]
ताजमहल, भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित एक मकबरा है जिसका निर्माण 17 वीं सदी में मुगल सम्राट शाहजहाँ (खुर्रम) के द्वारा अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में सफेद संगमरमर के पत्थर से करवाया गया था। कहा जाता है कि ताजमहल के निर्माण में करीब 20,000 कारीगरों ने 20 सालों तक काम किया था। ताजमहल को विश्व भर में प्रेम का प्रतीक भी कहा जाता है।
ताजमहल में मुगल वास्तु कला का अनोखा नमूना देखने को मिलता है इसमें तुर्क,फ़ारसी,भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के घटक नजर आते है। ताजमहल को युनेस्को ने सन् 1983 विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया था। भारत का ताजमहल दुनिया के सात अजूबे में से एक है।
कालीजीयम, इटली [Colosseum, Italy]
इटली देश के रोम शहर के मध्य स्थित कालीजीयम का निर्माण 70 ईसवी में और 82 ईसवी के मध्य सम्राट टाइटस वेस्पेशियन ने करवाया था। कालीजीयम के निर्माण में करीब 9 वर्षों का व्यक्त लगा था। कालीजीयम को रोमन स्थापत्य और अभियांत्रिकी का सर्वोत्कृष्ट नमूना माना जाता है।
ऐसा भी कहा जाता है कि कालीजीयम के अंदर करीब 4 लाख लोग मारे गए थे इस भवन को एम्फ़ीथियेटरम् फ्लेवियम भी जहा जाता है। जिसका नाम फ्लेवियस वेस्पियन और टाइटस के पारिवारिक के कारण रखा गया है
क्राइस्ट द रिडीमर, ब्राजील [Christ the Redeemer, Brazil]
क्राइस्ट द रिडीमर ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो में स्थापित एक ईसा मसीह की एक प्रतिमा है जिसका निर्माण 1922 और 1931 के मध्य करवाया गया था । ईसा मसीह इस प्रतिमा को विश्व का दूसरा सबसे बड़ा आर्ट डेको स्टैच्यू के रूप में जाना जाता है। इसे प्रतिमा को तिजुका फोरेस्ट नेशनल पार्क के कोर्कोवाडो पर्वत की चोटी में स्थापित किया गया है जिसे बड़ी आसानी से पपूरे शहर से देखा जा सकता है ।
यह दुनिया भर में स्थित ऊंची प्रतिमाओ में एक है जिसकी ऊंचाई 9.5 मीटर (31 फीट) आधार सहित 39.6 मीटर है। ईसा मसीह की इस प्रतिमा को ईसाई समुदाय के लोग एक प्रतीक के रूप में मानते है,इस प्रतिमा की ब्राजील में एक अलग ही पहचान है जिसे युनेस्को ने 2012 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया था। कहा जाता है कि ईसा मसीह की इस प्रतिमा में हर साल आसमानी बिजली तीन से चार बार टकराती है। क्राइस्ट द रिडीमर भी दुनिया के सात अजूबे में से एक है
चिचेन इट्जा, मैक्सिको [Chichen Itza, Mexico]
मैक्सिको सिटी में स्थित का चिचेन इट्जा जिसे चिचेन इत्ज़ा के नाम से भी जाना जाता है दुनिया के सात अजूबों में से एक है, चिचेन इट्जा का निर्माण 9वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी के बीच पूर्व-कोलंबियाई के माया सभ्यता के लोगों के द्वारा करवाया गया था।
चिचेन इट्जा को माया सभ्यता का संरक्षित पुरातात्विक स्थल माना जाता है चिचेन इट्जा में कई पिरामिड के साथ-साथ मंदिर, खेल के मैदान भी बनाए गए है कहा जाता है कि यह से कई अजीबो गरीब आवाज सुनाई देती है, कुछ लोगों का मानना है कि माया सभ्यता एक विकसित सभ्यता रही होगी। युनेस्को ने 1988 में चिचेन इट्जा को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया था। चिचेन इट्जा भी दुनिया के सात अजूबे में से एक है
माचू पिच्चू, पेरू [Machu Picchu, Peru]
माचू पिच्चू, दक्षिण अमेरिकी के पेरू मे स्थित एक कोलम्बस-पूर्व युग की इंका सभ्यता से संबंधित एक ऐतिहासिक स्थल है। जो की समुद्र तल से 2,430 मीटर की ऊँचाई पर उरुबाम्बा घाटी की स्थित है, माचू पिच्चू को 'इंकाओं का खोया शहर' के नाम से भी जाना जाता है।
यूनेस्को ने माचू पिच्चू को साल 1983 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया था। माचू पिच्चू को 7 जुलाई 2007 दुनिया के सात अजूबे में शामिल किया गया है।
पेट्रा, जॉर्डन [Petra, Jordan]
पेट्रा मृत सागर और लाल सागर के बीच जॉर्डन देश का एक ऐतिहासिक नगर है, इस नगर का निर्माण गुलाबी रंग के बलुआ पत्थरों से करवाया है, गुलाबी रंग के कारण जॉर्डन के पेट्रा नगर को रोज सिटी के नाम भी लोग जानते है , इस नगर में कई मदिर और मकबरें है।
जॉर्डन के पेट्रा को यूनेस्को ने 1985 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया, इसके साथ ही यूनेस्को ने पेट्रा को 'मनुष्य की पारंपरिक विरासत की सबसे महंगी पारंपरिक संपत्ति' के रूप में भी परिभाषित किया। यह भी दुनिया का एक अजूबा है.
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