MP Election 2023 News : मालवा जीतने बीजेपी-कांग्रेस के दिग्गजों के खास 'दांव'
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है। ऐसे में प्रदेश की दो प्रमुख राजनैतिक पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस ने चुनावी रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने की पूरी तैयारी कर ली है।
- आदिवासियों को साधने कमलनाथ ने रचा 'चक्रव्यूह'
- अमित शाह का ब्राह्मणों को साधने 'जानापाव' कूच
इंदौर। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है। ऐसे में प्रदेश की दो प्रमुख राजनैतिक पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस ने चुनावी रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने की पूरी तैयारी कर ली है। बीजेपी और कांग्रेस के दो दिग्गज रविवार को इंदौर में हैं और अपनी-अपनी पार्टी के पक्ष में चुनावी वातावरण बनाने के लिए तत्पर हैं। इस क्षेत्र में आदिवासियों के वोट निर्णायक तो हैं ही,ब्राह्मण,मराठी और अन्य वर्गों के वोट भी किसी भी दल के लिए कम मायने नहीं रखते हैं। यही वजह है कि कमलनाथ और अमित शाह एक सोची समझी रणनीति के तहत ही इंदौर की यात्रा पर हैं।
मालवा-निमाड़ हैं सत्ता की चाबी-
दरअसल, मालवा-निमाड़ दोनों ही दलों के लिए बेहद ही अहमियत रखते हैं। 2018 में कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने का श्रेय काफी हद तक मालवा-निमाड़ रीजन को ही जाता है। विशेष रूप से मध्यप्रदेश की कुल 47 आदिवासी सीटों में से 22 सीटें इसी रीजन से आती हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इन सीटों में से 14 पर विजयश्री हासिल की थी। बीजेपी को 7 सीटें मिली थीं। इन सीटों पर कांग्रेस का दबदबा रहता आया है। मालवा-निमाड़ रीजन के 15 जिलों में कुल 66 सीटें हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने इस क्षेत्र से बीजेपी के मुकाबले अधिक सीटें जीत ली थीं। सरकार बनाने में इस क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।
अमित शाह का ब्राह्मणों पर फोकस क्यों-
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह रविवार को इंदौर आने के बाद भगवान परशुराम की जन्म स्थली जानापाव जाएंगे। यह यात्रा साधारण नहीं है बल्कि इसके बहाने अमित शाह रीजन के ब्राह्मणों को भाजपा के पक्ष में करना चाहते हैं। जानापाव जाने का मकसद ही ब्राह्मण वोटों को साधना है। महान शहीद क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद भी आलीराजपुर जिले के भाबरा गांव निवासी थे,जिनसे ब्राह्मणों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। आलीराजपुर जिला इंदौर संभाग में आता है। यही कारण है कि शिवराज सिंह चौहान के कुछ फैसलों से नाराज़ ब्राह्मणों का ह्रदय परिवर्तन के उद्देश्य से अमित शाह यहां जा रहे हैं।इसके अलावा शाह संभागीय कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में भी शिरकत कर रहे हैं। जहां वे बूथ को मजबूत करने के तरीके समझा रहे हैं।
कमलनाथ युवा आदिवासियों के बीच होंगे-
30 जुलाई को ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ इंदौर में आदिवासी युवा महापंचायत में शामिल होकर आदिवासियों को यह संदेश दे रहे हैं कि बीजेपी उनकी हितैषी नहीं हो सकती है। बीजेपी के 18 वर्ष के शासनकाल में आदिवासियों के लिए कुछ नहीं किया गया है। यानी कांग्रेस की बीजेपी से अलग रणनीति है।
क्षेत्रीय घेराबंदी और राजनीतिक गुणाभाग-
इस बार के चुनाव में भाजपा - कांग्रेस मालवा-निमाड़ क्षेत्र की घेराबंदी क्यों कर रहे हैं,इसे भी समझना जरूरी है। दोनों ही दलों में यहां कड़ी टक्कर की संभावना व्यक्त की गई है। लिहाजा अमित शाह की कोशिश है कि इस क्षेत्र में बूथ प्रबंधन को मजबूत किया जाए ताकि बीजेपी के पक्ष में अधिक से अधिक वोट डलवाने जा सकें। उधर कांग्रेस के कमलनाथ का भी फोकस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने पर अधिक है। यही वजह है कमलनाथ मालवा-निमाड़ क्षेत्र का दौरा करके कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर रहे हैं।