Holi 2024 Date: 2024 में होली का त्योहार की तिथि (Holi 2024 Date) के साथ आने वाले 7 सालों में होली कब है?
Holi 2024 Date: साल 2024 में होली का त्योहार की तिथि (Holi 2024 Date) के साथ आने वाले 7 सालों में होली कब है? होलिका दहन का समय एवं होली मनाने के पीछे के पौराणिक कथा क्या है।
Holi 2024 Date: होली का त्योहार हिन्दू धर्म के पवित्र त्योहारों में से एक है दो दिनों तक मनाया जाने वाला होली का त्योहार हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इसके ठीक अगले दिन लोग रंग- गुलाल खेलते है, होली का त्योहार बुराई में अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है
इस दिन लोग एक दूसरे के घर जाकर अपना द्वेष भूलकर रंग- गुलाल लगाकर एक दूसरे को मिठाई खिलते है,लोग साल 2024 में होली के त्योहार की तिथि को लेकर असमंजस में हैं आइये जानते है, साल 2024 में होली का त्योहार की तिथि के साथ आने वाले 7 सालों में होली कब है? होलिका दहन का समय एवं होली मनाने के पीछे के पौराणिक कथा क्या है।
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Holi 2024 Date : 2024 में होली कब है?
दो दिवसीय होली का त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन के साथ शुरू होता है, इसके अगले दिन रंग- गुलाल खेला जाती है। साल 2024 में होलिका दहन 24 मार्च की रात को होगी। इसके अगले दिन यानि 2024 में होली 25 मार्च को खेली जाएगी।
आने वाले 7 सालों में होली कब है?
Holi 2024 Date | Monday, March 25, 2024 |
Holi 2025 Date | Friday, March 14, 2025 |
Holi 2026 Date | Wednesday, March 4, 2026 |
Holi 2027 Date | Monday, March 22, 2027 |
Holi 2028 Date | Saturday, March 11, 2028 |
Holi 2029 Date | Thursday, March 1, 2029 |
Holi 2030 Date | Wednesday, March 20,2030 |
होलिका दहन का मुहूर्त एवं समय
हिन्दू पंचाग के मुताबिक, साल 2024 में फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि रात 09 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी जिसका समापन 25 मार्च दोपहर 12 बजकर 29 मिनट को होगा। इसी तिथि में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा होलिका दहन भद्रा पूंछ में की किया जाता है। साल 2024 में भद्रा पूंछ में होलिका दहन का समय 6 बजकर 33 मिनट से 7 बजकर 53 तक रहेगा।
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होली मनाने के पीछे की पौराणिक कथा
हिन्दू ग्रंथों में वर्णित पौराणिक कथा के मुताबिक, हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद जो की भगवान विष्णु का परम भक्त थे। अपने पुत्र को यतनाये देने के उद्देश से हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका जिसे भगवान ब्रम्हा का वरदान था की उसे आग नहीं जला सकती है। उसके साथ हिरण्यकश्यप ने पुत्र प्रह्लाद को आग में बैठा दिया। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से भक्त पहलद को कोई हानि नहीं हुई बल्कि साथ बैठी पहलद की बुआ जलकर राख हो गई । जब से ही हार साल होली को हर वर्ष बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मानते है।
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