Dewas News : सोनकच्छ के गांव इकरोता से आया अजीबो गरीब मामला, ग्रामीणों ने तेंदुआ के साथ ली सेल्फी, की सवारी, वन विभाग टीम ने किया रेस्क्यू

देवास जिले के सोनकच्छ के गांव इकरोता में एक अजीबो गरीब मामला देखने को मिला। जहां एक तेंदुआ से बिना डरे लोग उसके पास पहुच गए और उसके साथ वे पालतू जानवर की तरह बर्ताव करते नजर आ रहें है।

Dewas News : सोनकच्छ के गांव इकरोता से आया अजीबो गरीब मामला, ग्रामीणों ने तेंदुआ के साथ ली सेल्फी, की सवारी, वन विभाग टीम ने किया रेस्क्यू

देवास जिले के सोनकच्छ के गांव इकरोता में एक अजीबो गरीब मामला देखने को मिला। जहां एक तेंदुआ से बिना डरे लोग उसके पास पहुच गए और उसके साथ वे पालतू जानवर की तरह बर्ताव करते नजर आ रहें है। किसी ने तेंदुए की पीठ पर बैठकर सवारी की तो किसी ने उसके साथ सेल्फी तक ली। कुछ ग्रामीणों ने तो तेंदुए के पास बैठकर ग्रुप फोटो तक खिंचवाया। 

दरअसल पूरा मामला मंगलवार दोपहर करीब एक बजे देवास जिले के सोनकच्छ के गांव इकरोता की है।  जब गांव के मंदिर के पास ग्रामीणों को एक तेंदुआ नजर आया। पहले तो ग्रामीणों तेंदुआ देख  डर गए। कोई पास जाने की कोई हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। लेकिन काफी देर तक तेंदुए ने कोई हिंसक हरकत नहीं की तो एक ग्रामीण उसके पास पहुचे और उसे छूने लगे। तेंदुए ने भी उसे कुछ हिंसक प्रतिक्रिया नहीं किया। यह देख धीरे- धीरे ग्रामीणों का डर भी खत्म हो गया। तेंदुआ बीमार था इस लिए वह ठीक से चल नहीं पा रहा था बीमार होने के कारण उसने हिंसक व्यवहार नहीं दिखाया। तो लोगों को लगा कि बीमार तेंदुए से उन्हें कोई खतरा नहीं है तो फिर वे पालतू जानवर की तरह उसके साथ बर्ताव करने लगे।

इतना ही नहीं किसी-किसी ने तो तेंदुए की पीठ पर बैठकर सवारी तक की तो किसी ने उसके साथ सेल्फी ली। इतना सब कुछ होने के बाद भी तेंदुए ने किसी पर हमला नहीं किया। जिसका नजारा कुछ ग्रामीणों ने अपने कैमरे में कैद तक कर लिया। हालांकि गाँव में तेंदुए के होने की खबर जैसे ही वन विभाग की टीम को लगा। वह तत्काल ही गाँव पहुची । जिसके बाद सभी ग्रामीणों को तेंदुए से दूर किया गया। इसके बाद  तेंदुआ को पिंजरे में रखा। तेंदुए की हालत देख उसे देर रात इलाज के लिए भोपाल ले गई।

वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक तेंदुएं की उम्र दो साल है। जिसका पाचन तंत्र खराब होने के कारण वह सुस्त था और ठीक से चल भी नहीं पा रहा था। इस वजह से उसने किसी भी ग्रामीणों पर कोई हमला नहीं किया। शुरुआती उपचार के बाद उसने रात को भरपेट भोजन किया।जिसे कुछ दिनों तक निगरानी में रखा जाएगा। उसके बाद ही फैसला लिया जाएगा कि उसे फिर से जंगल में छोड़ना है या पिंजरे रखना है।