ज्ञानवापी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी सर्वे को हरी झंडी, मुस्लिम पक्ष निराश
वाराणसी की ज्ञानवापी परिसर (वजूखाने को छोड़कर)का रडार तकनीक से वैज्ञानिक सर्वे का रास्ता साफ हो गया है। 21 जुलाई को वाराणसी जिला अदालत द्वारा सर्वे के लिए दिए गए आदेश के बाद 24 जुलाई को सर्वे आरंभ कर दिया गया था
- ज्ञानवापी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी सर्वे को हरी झंडी, मुस्लिम पक्ष निराश
- रडार तकनीक से एएसआई करेगी परिसर की पड़ताल
प्रयागराज। वाराणसी की ज्ञानवापी परिसर (वजूखाने को छोड़कर)का रडार तकनीक से वैज्ञानिक सर्वे का रास्ता साफ हो गया है। 21 जुलाई को वाराणसी जिला अदालत द्वारा सर्वे के लिए दिए गए आदेश के बाद 24 जुलाई को सर्वे आरंभ कर दिया गया था मगर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका के आधार पर रोक लगा दी थी। इसपर गुरुवार को आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगातार चली सुनवाई के बाद वाराणसी जिला कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए अविलंब सर्वे की प्रक्रिया आरंभ करने का आदेश दिया है। सर्वे पर रोक लगाने संबंधी याचिका खारिज होने से मुस्लिम पक्ष निराश हो गया है और सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में जुट गया है।
कैसे होगा सर्वे
एएसआई ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक आधार पर सर्वे करेगी। इसके लिए विदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तकनीक में खुदाई के बजाय यंत्रों के माध्यम से जमीन की तह के नीचे की चीजों का पता लगाया जाएगा। यानी रडार तकनीक का इस्तेमाल इस सर्वे में किया जाएगा।
विवाद किस बात का है
ज्ञानवापी परिसर में मंदिर था या मौजूदा मस्जिद का अस्तित्व पहले से रहा है,इस बात का विवाद चल रहा है। हिन्दू पक्ष मानता है कि ज्ञानवापी परिसर में जहां मस्जिद के तीन गुंबद बने हैं,उनके नीचे आदि विश्वेशर शिवलिंग और उनका प्राचीन मंदिर भी है। मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर यहां बने मंदिर को ध्वस्त करके मस्जिद बनाई गई थी। जबकि मुस्लिम पक्ष इसका विरोध कर रहा है।
क्या कहा हाईकोर्ट ने
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तमाम तथ्यों के परीक्षण के बाद यह माना है कि न्याय के लिए तथ्यों का होना निहायत जरूरी है। तथ्यों को जुटाने के लिए ज्ञानवापी परिसर का सर्वे होना न्यायहित में है।
अयोध्या की तर्ज पर हो सकता है फाइनल फैसला
जानकारों का मानना है कि ज्ञानवापी का मामला अयोध्या मामले से लगभग मिलता-जुलता है। यहां भी मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाए जाने का मसला हिन्दू पक्ष ने उठाया था,जिसे मुस्लिम पक्ष मानने को तैयार नहीं था। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर एएसआई सर्वे कराया गया था,जिसे मुख्य आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाया था। पौराणिक तथ्यों को भी अयोध्या फैसले में आधार बनाया गया था। कमोवेश उसी तर्ज पर ज्ञानवापी मामले पर विवाद लंबा विवाद खिंच सकता है।