बक्सवाहा जंगल की कटाई पर आदित्य बिरला समूह ने किया सरेंडर
आदित्य विरला समूह के एक्सेल माइनिंग लिमिटेड ने खुदाई करने से अपने हाथों को पीछे खिचते हुए ग्रुप के डायरेक्टर ने खनिज संसाधन को पत्र भेजकर प्रोजेक्ट को सरेंडर करने की मंशा जताई है।
छतरपुर, एमपी न्यूज हिन्दी । मध्य प्रदेश के बक्सवाहा डायमंड प्रोजेक्ट के विवादो मे घिरने के चार साल बाद आदित्य विरला समूह के एक्सेल माइनिंग लिमिटेड ने खुदाई करने से अपने हाथों को पीछे खीच लिया है ग्रुप के डायरेक्टर ने खनिज संसाधन को पत्र भेजकर प्रोजेक्ट को सरेंडर करने की मंशा जताई है।
एक न्यूज पेपर दैनिक भास्कर को इस मामले की जानकारी देते हुए खनिज संसाधन संचालक भोपाल की राजीव रंजन मीन ने बताया कि आदित्य बिड़ला ग्रुप के द्वारा प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ाए जाने का पत्र जारी करने के बाद एलओआई को निरस्त करने के लिए शासन का प्रस्ताव भेजा गया है। कंपनी तीन साल के अंदर वैध अनुमति प्राप्त करने में असफल रही है। बिड़ला ग्रुप को अभी और दो साल का और एक्सटेंशन मिल सकता था,लेकिन कंपनी ने प्रोजेक्ट को सरेंडर करने पर सहमति जताई है। इसके चलते शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। शासन के निर्णय के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
बता दे कि छतरपुर जिले मे स्थित बक्सवाह जंगल जहा अरबों रुपये के हीरे दफने हुए है जिनको निकालने के लिए 4 साल पहले भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के द्वारा ई-नीलामी की गई थी जहां आदित्य बिरला समूह के एक्सेल माइनिंग लिमिटेड ने इस नीलामी को जीत कर बक्सवाह जंगल के बंदर हीरा ब्लॉक मे 382 हेक्टर वन भूमि को अधिग्रहण करने की अनुमति दी गई थी जहा गाड़े हुए 34 मिलियन कच्चे हीरो का अनुमान है।
जानकार बताते है की आदित्य विरला ग्रुप ने जब नीलामी जीती तो सरकार ने इनको 4 साल का समय दिया की वे पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी ले ताकि भविष्य मे कार्य मे कोई बाधा उत्पन्न ना हो जिसमे मंत्रालय ने काम को शुरू करने की अनुमति भी दे दिया था लेकिन जबलपुर कृषि विश्वविध्यालय के प्रोफेसर डॉ पी जी नजपाण्डे ने पीआईएल दायर कर कहां की इस जंगल हजारों साल पुराने पेड़ है जिससे आस पास के जनों का जीवन यापन खतरे में पड़ सकता है इसके साथ उनने कहा था कि इधर 25000 साल पुरानी रॉक पेंटिंग है जिसकी पुष्टि पुरातात्विक विभाग ने भी किया इसके साथ इस पूरे मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने इस पर रोक लगा थी।
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